घर की रौनक़ शान है ब

poem by: Nadir Hasnain
Written on Feb 16, 2013

                  (बेटी)
घर की रौनक़ शान है बेटी ………ममता की पहचान है बेटी
उसी कोख से बेटा जन्मा……………मां की ही संतान है  बेटी 

दिल की धड़कन जान है बेटी……एक मुखलिस इंसान है बेटी
माँ की ममता बहन की राखी……प्यार की देवी आन है बेटी

ग़फलत है बेजान है बेटी………….हक़ देदो बलवान है बेटी
मदरटरेसा इंद्रा गाँधी ……………..सुनीता मैरिकोम है बेटी

दहशत से हैरान है बेटी ………… घर में ही मेहमान है बेटी
जन्म से पहले बाद जन्म के……क्यों होती कुर्बान है बेटी 

कुदरत का इहसान है बेटी ………खुश्यों का पैग़ाम है बेटी
क़सम तुझे है भारत माँ की……इज्ज़त दो सम्मान है बेटी 

                                नादिर हसनैन (नादिर)

 

Tags: happy, love, humor, faith, hope,

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greg woods commented:
Nee how Nadir

 

 

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